8TH SEMESTER ! भाग- 90( A Lip of Heart-2)
"काम नही प्राब्लम है वो भी एक नही तीन-तीन...पहला ये कि वो एक क्रिस्चियन है ,दूसरा उसका रहीस बाप और तीसरा मुझे ये मालूम करना है कि निशा ने मुझसे जो कुछ भी कहा वो सच है या नही..."
"क्या कहा उसने..."
"वो मैं तुझे क्यूँ बताऊ...बस तू एक काम कर,मैं एक लड़के का नाम बताता हूँ तू फ़ेसबुक मे उसके नेम के आगे नागपुर लिखकर सर्च मार..."
"नाम बता..."अरुण अपना मोबाइल निकालते हुए बोला...
"विश्वकर्मा,नागपुर..."
"बहुत लौन्डे है इस यूज़र नाम के..."
"नाम के बाद कॉलेज नाम डाल के देख तो .."निशा के कॉलेज का नाम बताते हुए मैने कहा और रिज़ल्ट मे हमे दो विश्वकर्मा मिले....
"एक ने अपना अड्रेस तक दिया है लेकिन एक की आइडी ब्लेंक है...बोले तो ना फोटो ना कोई डीटेल्स..बस कॉलेज का नाम लिख रखा है चूतिए ने..."
"पहले वाले का अड्रेस देना तो..."
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अरुण ने उसका अड्रेस मेरे मोबाइल पर मेसेज किया और मुझसे पुछा कि ये विश्वकर्मा कौन है और मैं उससे क्यूँ मिलने जा रहा हूँ....
"वो मेरा गे पार्ट्नर है...उसे पेलने जा रहा हूँ ,तू भी शामिल होगा क्या हमारे gang -bang मे...?."
"छी...छी... These Sanskarless people...बिल्कुल नही..."
"तो अब अपनी बक बक बंद कर और मुझे आराम करने दे..."
"ओये हेलो...आगे की स्टोरी क्या पापा जी सुनने वाले है...?."वरुण चादर खीचता हुआ बोला...
"अभी नही यार..."
"पर मेरा मूड है और यदि तूने ऐसा नही किया तो मैं कल सुबह निशा के बाप को जाकर सारी सच्चाई बता दूँगा..."
मुझे मालूम था कि वरुण ऐसा कुछ भी नही करता लेकिन फिर भी मैं उठकर बैठ गया..... क्यूंकि जब कोई दोस्ती मे मेरे लिए कुछ करता है तो मैं भी उसके लिए करता हूँ..फिर तो ये स्टोरी सुनाने कि बात थी... भाला श्री अरमान अपने मित्र धर्म से कैसे पीछे हट सकते थे... इसलिए मैने कहानी आगे सुनानी शुरू की...
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अब सब कुछ बदलने लगा था...अब ना ही हमारे क्लास मे दीपिका मैम थी और ना ही कुर्रे सर...सिदार की इंजीनियरिंग कंप्लीट हो चुकी थी,इसलिए वो चला गया और उसी साल उसकी ड्रीम गर्ल विभा भी चली गयी लेकिन वरुण इस साल भी कॉलेज मे था... साला फिर से फेल हो गया. ऐश और गौतम का प्यार समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ रहा था और मेरे पास इस बारे मे सोचने का टाइम नही था....
"टाइम नही था का क्या मतलब..."वरुण ने मुझे बीच मे रोका...
"मतलब की सुबह 9 बजे उठकर शाम के 5 बजे तक कॉलेज मे सडना...उसके बाद सीधे हॉस्टल आकर सो जाना और फिर रात को थोड़ी बहुत कॉलेज वर्क करना., दारू पीना, लौंडो के साथ गप्पे -शप्पे मारना, फिर रात मे हिलाकर सो जाना... अब तू ही बता कहा टाइम बचा मेरे पास .."
"तो फाइनली तूने थर्ड सें से पढ़ाई शुरू कर दी..."
"पढ़ाई नही ,सिर्फ़ लिखाई 😜और वर्कशॉप के मशीन्स के ड्रॉयिंग बनाना...मैं पूरी रात यही करता था, ताकि वर्कशॉप की नेक्स्ट क्लास के पहले तक मेरा काम पूरा हो जाए...वरना साला वो फ़ौजी अटेंडेन्स नही देता था...."
"घंटा...इसका मतलब ऐश से तू प्यार नही करता था ,वो सब तेरा attraction था.. वरना तू उसके लिए टाइम जरूर निकाल लेता ."
"Attraction is the first step of love...अंकल जी...वरना हमारे आस-पास के अट्मॉस्फियर मे ऐसे कई एलिमेंट्स और फोर्सस थे जो attraction का नहीं बल्कि repulsion का काम करते थे और इतने repulsive factors होने के बावजूद मैं ऐश से जुड़ा रहा...इसका मतलब कुछ तो ऐसा था जो मुझे उससे बांधे रखता था...."
"चल आगे बता "
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MTL भाई के कॉलेज से जाने का एफेक्ट हम हॉस्टल वालो पर बहुत पड़ा, क्यूंकी सिदार हमारी ताक़त था और उसके कॉलेज मे ना होने का मतलब था कि एक बहुत बड़ा परिवर्तन...जिस सीनियर ने फर्स्ट सेमेस्टर मे मेरी रैगिंग ली थी वो सिदार के जाने के बाद फिर से उठ खड़ा हुआ था, जिसकी जानकारी मुझे अमर सर ने दी ,जो कि अब फाइनल एअर मे थे....उन्होने बताया कि सिदार के कॉलेज से जाने के बाद वरुण मुझसे अपना बदला लेने के लिए कुछ तैयारी कर रहा है और उसके निशाने पर मैं हूँ इसलिए मैं थोड़ा संभल कर रहूं....वरुण के साथ गौतम भी था और गौतम के वरुण के साथ होने का मतलब था...एक अच्छी खासी गुंडों कि फ़ौज... क्यूंकि गौतम का बाप इस शहर का बहुत बड़ा पावरफुल गुंडा था. पिछले एक साल मे मैं गौतम के बारे मे बहुत कुछ जान चुका था जैसे कि उसका बाप डॉन टाइप का था और उसकी इस डॉनगिरी मे गौतम का अंकल उसका बखूबी साथ देता था... जो कि शहर से बाहर रहता है और गन और गर्ल्स का धंधा करता है. हमारे रिपोर्टर bhu के ज़रिए कॉल मे मुझे ये भी मालूम चला कि गौतम के अंकल ने कई लड़कियो का रेप भी किया है...लेकिन उस इलाक़े मे उसकी पकड़ होने के कारण वो आज तक बचता रहा....गौतम का बैक ग्राउंड पूरा जानने के बाद मैने डिसाइड किया कि अब मुझे ज़्यादा नही उड़ना है वरना बेकार मे मार दिया जाउन्गा.... पर मै सोच तक नहीं नहीं सकता था इस semester मे मेरे साथ क्या -क्या होने वाला था और सोचता भी कैसे... खैर, इसमें कुछ अच्छे पल भी थे जिनकी यादें आज भी सीने मे मौज़ूद है और उन अच्छी यादों के साथ कुछ बुरी यादें ,भयानक पल भी थे जिन्हे मैं कभी भुला नही पाया और शायद कभी भुला भी ना पाऊ....
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बास्केटबॉल कोर्ट मे मेरे बुरे बर्ताव का नतीजा ये निकला कि कोच ने मुझे दोबारा बास्केटबॉल के कोर्ट मे बुलाने की जहमत नही उठाई...सच कहूँ तो जब से सिदार गया था मैं कुछ डरा-डरा सा रहने लगा था और अपने काम से काम रखता था...कुछ दिनो तक मेरी लाइफ मे लड़कियो के नाम पर मेरी क्लास की वो मोटी भैसी सिबिन और उसकी बदसूरत चमगादड़ जैसे मुँह वाली फ्रेंड्स ही थी...फर्स्ट एअर के लौन्डे और फ्रेश माल कॉलेज मे एंट्री मार चुके थे और उनके एंट्री होने के साथ ही वरुण अपनी आदत अनुसार उनकी रैगिंग लेने मे लग गया था... सिदार के ना होने कारण अब वरुण खुल्लम खुल्ला सिटी वाले जूनियर्स के साथ हॉस्टल के भी जूनियर्स को पेलता था...जिसकी खबरे आए दिन मेरे कानो मे पडती रहती थी.. इस सेमेस्टर मे सच मे बहुत कुछ चेंज हो गया था लेकिन एक चीज़ जो अभी तक नही बदली थी वो ये कि ईशा अब भी मेरे लेफ्ट साइड मे बसी थी और अकेलेपन मे कभी-कभी वो मुझे याद भी आती ...
Ammar khan
30-Nov-2021 09:45 AM
Very beautiful کہانی
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Raghuveer Sharma
27-Nov-2021 01:32 PM
bahut acchi ja rahi hai kahani bhai agla bhag jaldi le aaiye
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